एनीमिया मुक्त भारत है मेरा मिशन: डॉ. ए. के. द्विवेदी

एक शिक्षाविद, शोधार्थी और चिकित्सक के रूप में पिछले 25 वर्षों से मानव सेवा में जुटे हुए डॉ. ए. के. द्विवेदी होम्योपैथी क्षेत्र का जाना-माना नाम है। प्रदेश से वे एकमात्र व्यक्ति है जो 2015 से लगातार तीसरी बार केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद् के एडवाइज़री सदस्य की भूमिका निभा रहे हैं। देश के प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में वे तमाम रोगों का इलाज कर अपने मरीजों काे लाभ पहुँचाते रहे हैं । वर्तमान में उनकी जंग एनीमिया रोग से है और इसके सबसे गंभीर रूप अप्लास्टिक एनीमिया के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। कई सम्मान पाने के बाद अब एनीमिया मुक्त भारत को अपने जीवन का मिशन बना चुके डॉ द्विवेदी बने हैं प्राइड ऑफ सेंट्रल इंडिया के हकदार।

एनीमिया के बारे में जन जागरूकता बड़ी चुनौती
डॉ द्विवेदी बताते हैं कि एनीमिया का इलाज उतनी बड़ी चुनौती नहीं है जितना कि लोगों को इसके बारे में जागरूक करना। इस रोग को लेकर लोगों का रवैया बहुत सामान्य है वे इसे रोग की कैटेगरी में ही नहीं रखते, जबकि यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इसके गंभीर रूप अप्लास्टिक एनीमिया से भी सामना हो सकता है। दरअसल, एनीमिया के भी कई लक्षण होते हैं। अप्लास्टिक एनीमिया इनमें सबसे खतरनाक है। हमारे पास विदेशों से भी अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज इलाज के लिए आते है। होम्योपैथिक ट्रीटमेंट से इस लाइलाज बीमारी अप्लास्टिक एनीमिया से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है।

देश-विदेश से आ रहे मरीज
मैं 25 साल से इस रोग का इलाज कर रहा हूं। पिछले कुछ समय में इस रोग के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इन दिनों रोजाना मेरे पास 2 से 4 मरीज अप्लास्टिक एनीमिया के आते है। इनमें बिहार, बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र के साथ ही नेपाल, भूटान के मरीज भी शामिल है। अन्य चिकित्सा पद्धति से इस रोग का इलाज करते हुए ज्यादातर डॉक्टर बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। इसमें अधिक खर्च आता है और उसके बाद भी सक्सेस के पूरे चांस नहीं रहते हैं। होम्योपैथी में हम कम समय और कम खर्च में इस बीमारी का इलाज कर रहे हंै। यही वजह है कि माउथ पब्लिसिटी से ही हमारे पास दूर-दूर से मरीज आ रहे हैं।

क्या है अप्लास्टिक एनीमिया
एनीमिया रोग की यह एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें शरीर के बोन मैरो में ब्ल्ड सेल्स का निर्माण होना बंद हो जाता है और शरीर के किसी भी हिस्से से अनियंत्रित रक्तस्राव होने लगता है।

कारण और लक्षण
बिना चिकित्सकीय सलाह के दर्द निवारक या अन्य दवाईयों के अधिक सेवन, कीमोथेरेपी, प्लेटलेट्स में कमी, वायरल इंफेक्शन, ऑटो इम्यून संबंधी समस्याएं आदि कारणों से शरीर में ब्लड सेल्स का बनना कम या बंद हो जाता है और यह अप्लास्टिक एनीमिया का कारण बनता है। जहां तक लक्षणों की बात है तो अनियंत्रित रक्तस्राव इसका प्रमुख लक्षण है।

सुझाव- सामान्यत: मरीज सभी जगह से निराश होने के बाद ही होम्योपैथी ट्रीटमेंट के लिए आते है जबकि यह पूरी तरह गलत है। ऐसी बीमारियां जिनके प्राथमिक इलाज में सर्जरी की आवश्यकता ना हो उन सभी में होम्योपैथिक ट्रीटमेंट बहुत कारगर है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और लोगों को होम्योपैथी इलाज के प्रति जागरूक करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

प्रयास – हाल ही में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक इंदौर जिले का हर दूसरा बच्चा एनीमिक है। हम चाहते है कि जिले के 1,95,000 एनीमिक बच्चों को होम्योपैथिक दवाइयों एवं अन्य उपायों के जरिए सेहतमंद बनाने का महाअभियान शुरू किया जाए। इसे लेकर हम सांसद महोदय से जल्द ही चर्चा करने वाले है। हमारा प्रयास यही है कि हम पूरे देश को एनीमिया मुक्त कर पाएं।

डॉ. द्विवेदी की उपलब्धियों पर एक नजर

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के साथ होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा सिकल सेल एवं अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज को लेकर चर्चा – (2023)
कोरोना के दौरान मरीजों का होम्योपैथी चिकित्सा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मान (2022)
राज्यपाल मंगू भाई पटेल द्वारा मध्य प्रदेश रत्न अलंकरण से सम्मानित (2022)
अन्तर्राष्ट्रीय उड़ान के दौरान यात्री की जान बचाने के लिए कैबिनेट मंत्री श्री तुलसी सिलावट द्वारा सम्मान (2021)
होम्योपैथी दवा से पथरी का सफल इलाज करने के लिए गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज (2015)

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